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Short moral stories in hindi छोटी नैतिक कहानियाँ हिंदी में
हेलो दोस्तों, आज के इस ब्लॉग में मै एक पिता के संघर्ष की कहानी बताने जा रहा हु.जिसको पढने के बाद आपको काफी प्रेरणा मिलेगी .ये एक short moral stories in hindi है .एक बार की बात है. एक गांव में हरिया नाम का एक मोची अपने बेटे मोहन के साथ रहता था. हरिया बहुत मेहनती था .उसकी पत्नी का एक बीमारी के चलते निधन हो गया था. घर और उसके बेटे मोहन की सारी जिम्मेदारी उसी के सर पर थी. अकेले सारी जिम्मेदारी हरिया को चलानी थी motivational story in hindi .
हरिया अपने बच्चे के पढ़ाई के लिए रात दिन मेहनत करता था. उसी गांव में एक बूढ़ी औरत अकेली रहती थी. हरिया ने एक दिन उस बूढ़ी औरत से कहा, मां जी क्या आप मोहन बेटे को संभाल लिया करेगी जब मैं काम पर जाऊंगा.तब उस बूढ़ी औरत ने कहा, हां बेटा मैं तुम्हारे बेटे को संभाल लिया करूंगी आखिर यह भी तो मेरे पोते जैसा ही है .तुम इसकी बिल्कुल फिक्र मत करो.

Moral stories in hindi नैतिक कहानियाँ हिंदी में
मोहन पूरा दिन उस बूढ़ी दादी के घर खेलता रहता . और रात को जब हरिया घर आता तो वह मोहन को खाना बनाकर खिलाता और लोरी गा कर सुला देता.और धीरे धीरे उसने अपने काम में तरक्की कर ली .और उसके घरेलू हालात ठीक हो गए .और मोहन भी पढ़ लिख कर बड़ा हो चला था. और गांव के ही एक सेठ के यहा हिसाब किताब का काम करने लगा. अब तो मोहन बड़ा हो चुका था.और वह तो कमाने भी लगा था .
एक दिन हरिया ने सोचा, अब बेटे मोहन की शादी कर देनी चाहिए. मैं भी बुढा होता जा रहा हूं. हरिया ने अपने बेटे का रिश्ता पास के ही एक सेठ की बेटी से तय किया. और अपने बेटे मोहन की शादी करवा दी .जब मोहन की पत्नी अपने ससुराल में आई तो उसने धीरे धीरे अपने पति से कह कर हरिया के लिए कई चीजों से रोक लगा दिया.और धीरे धीरे मोहन की शादी को कुछ साल बीते. और एक दिन हरिया के घर में बच्चे का जन्म हुआ .हरिया अपने पोते को आते ही देखकर खुश हो गया .और उसने पूरे गांव में मिठाई बटवाइ . motivational story in hindi
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हरिया ने अपने पोते का नाम सूरज रखा. सूरज अपने दादा के बहुत करीब था और हमेशा उन्हीं के साथ खेलता था . यह देख मोहन की पत्नी को बहुत गुस्सा आता. देखते ही देखते सूरज 8 साल का हो गया और वह स्कूल जाने लगा .और एक दिन हरिया की तबीयत बहुत खराब हो गई. उसे जोरों की खांसी आने लगी और उसका खांसी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था .short moral stories in hindi
यह देखकर उसकी बहू विमला को बहुत तकलीफ हो रही थी. और शाम को जब मोहन काम से लौटा तो उसकी पत्नी ने कहा कि बाबूजी को बहुत खासी आ रही है. और मुझे डर है कि अपने बेटे को कहीं इससे कोई बीमारी ना हो जाए. और मैं तो कहती हूं कि इनको घर के आंगन में रहने के लिए बोल देना चाहिए.

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मोहन ने कहा, सही कह रही हो. पिताजी की तो उम्र हो गई है. लेकिन सूरज तो अभी बच्चा है. अगर पिताजी की बीमारी का असर सूरज पर पड़ा. तो उसकी पढ़ाई लिखाई का क्या होगा. तो विमला ने कहा, वैसे भी सूरज पिताजी की बात ज्यादा और हमारी कम ही सुनता है. तो मोहन ने कहा, तुम फिकर मत करो मैं पिताजी से बात करता हूं. मोहन अपने पिताजी के पास गया और कहा, पिताजी अब आपकी तबीयत ठीक नहीं रहती है. तो उसके पिताजी ने कहा, हां बेटा मैंने हकीम के पास जाकर दवाई तो ली थी लेकिन पता नहीं आराम क्यों नहीं हो रहा है.
तो मोहन ने कहा, पिताजी अगर आप बुरा ना माने तो मैं यह कह रहा था कि क्या आप बाहर आंगन में सो सकते हैं .क्योंकि सूरज अभी छोटा है. तो उसके वजह से अगर आप बाहर सो जाते तो अच्छा होता. तो यह बातें सुनकर हरिया की आंखों में पानी आ गया. उसने कहा ,बेटा तुम ठीक कह रहे हो. हरिया ने कहा बेटा आज से मैं बाहर आंगन में ही सो जाऊंगा . बस तुमसे एक गुजारिश है ठंड बहुत है. तो तुम मुझ सिर्फ एक कंबल दे देना. ताकि इस ठंड में मेरी मौत ना हो जाए. motivational story in hindi
पिताजी यह भी कोई कहने वाली बात है और मोहन अपनी पत्नी से एक कंबल लाने को कहा और अपने पिता को एक कंबल दे दिया .और लगे हाथ उसने अपने पिता को आंगन में पहुंचा दिया. और दरवाजे की चौखट पर खड़ा सूरज अपने दादा की आंखें और उनका उदास चेहरा ध्यान से देख रहा था.
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वहां हरिया बाहर आंगन में जाकर कंबल ओढ़ कर खासता हुआ सो गया. लेकिन सूरज वहीं खड़ा, अपने दादाजी को चुपचाप देख रहा था. थोड़ी ही देर बाद, सूरज की मां विमला, सूरज के पास आकर बोली बेटा तुम यहां ठंड में क्या कर रहे हो .अंदर चलो वरना तुम्हें ठंड लग जाएगी.
तो सूरज ने कहा, मैं देख रहा था और यही सोच रहा था कि कल जब आप लोग भी बूढ़े हो जाओगे और बीमार पड़ जाओगे तो मुझे भी आप लोगों को इसी तरह कंबल देकर आंगन में रखना पड़ेगा ना, जैसे आज आप लोगों ने दादाजी के साथ किया है .ठीक वैसे ही मुझे भी आप लोगों के साथ करना होगा. विमला अपने बेटे सूरज की यह बात सुनकर हैरान रह गई. और पास में खड़ा मोहन भी अपने बेटे की इस बात को सुनकर सोच में पड़ गया . short moral stories in hindi

विमला और मोहन दोनों बातों को अच्छे से समझ गए कि बच्चे जैसा देखते हैं वैसा ही सीखते हैं. और उन दोनों को अपनी गलती का एहसास हो गया .मोहन को अपना बचपन और पिता का प्यार याद आ गया. और मोहन ने अपने बेटे सूरज से कहा बेटा हम समझ गए हैं कि हम गलत किए हैं. और उसने कहा दादा जी अब आंगन में नहीं अब वह घर में सोएंगे और कल हम उन्हें डॉक्टर के पास लेकर जाएंगे. जिससे वह जल्दी ठीक होकर तुम्हारे साथ खेल सके.
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और उसने अपने पिता के पास जाकर नम आंखों से माफी मांगी. और उन्हें अपने घर के अंदर ले आए. और हरिया को अपने बेटे की गलती का एहसास होता देख, हरिया की आंखें नम हो गई. और अब मोहन और विमला ने पिताजी का अच्छे से इलाज करवाया और वह जल्दी ही ठीक हो. और अब पूरा परिवार दोबारा वापस से खुशी-खुशी एक साथ रहने लगा इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है हमने अपने माता-पिता के साथ हमेशा अच्छा व्यवहार ही करना चाहिए. नहीं तो बड़े होकर कल हमारे बच्चे भी हमारे साथ वैसा ही बुरा व्यवहार करेंगे.
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